मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा / रणजीत
मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा
पिट चुकें जब गोटियाँ सब प्यार की
और बाज़ी ज़िंदगी की हार जाओ
तब न घबराना
कहीं तुम मात मत स्वीकार लेना
किन्तु मेरे पास आना
हो सका तो मैं तुम्हें फिर प्यार दूँगा
मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा।
जब सहारे सब तुम्हारे टूट जाएँ
साथी-सम्बंधी सभी जब छूट जाएँ
तब न अपने को कहीं तुम
बेसहारा समझ लेना
किन्तु मेरे पास आना
हो सका तो मैं नया आधार दूँगा
मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा।
थक चुकें जब सभ्यता के सार्थ में चलते तुम्हारे पाँव
और प्राणों का दिया जब थरथराये
हार मत देना कहीं हिम्मत
न रुकना राह पर तब
और मेरे पास आना
बन पड़ा तो मैं तुम्हें तब स्नेह का आगार दूँगा
मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा।
जब गुलामी प्यार के ही छद्म में छलने लगे
चुंबनों की चमक जब खो जाय औ'
आलिंगनों की मुर्दनी खलने लगे
छद्मवेशी दासता पहचानने में
तब कहीं मत चूक जाना
और मेरे पास आना
बन पड़ा तो मुक्त जीवन, मुक्तिदा मैं प्यार दूँगा
मैं तुम्हें स्वीकार लूँगा।