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लाल खून भी तो लेकिन / रणजीत

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बहुत ठंडी होती हैं हालात की बर्फ़ानी परतें
लाल खून भी तो लेकिन कम गर्म नहीं होता।
गर्भस्थ अभिमन्यु
ओ पिता!
मुझे बताओ
चारों ओर बिछे इस जटिल जाल के
चक्रव्यूह का द्वार कहाँ है?
अपने लंबे जीवन के अनुभव से
प्राप्त ज्ञान से
मुझे अभी परिचित करवाओ!
उन सब से अब मैं लड़ लूँगा
जिन पर
पिछले युग के संस्कारों से बँधे हुए ये हाथ तुम्हारे
शस्त्र उठाते वक़्त काँप जाते हैं
अपने युग का ज्ञान मुझे दो
मैं ढालूँगा उसे क्रिया में
चक्रव्यूह को मैं तोड़ूँगा
कौरव दल से मैं जूझूँगा
सिर्फ़ बता दो:
उसका निर्बल द्वार कहाँ है?