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बिखरा-बिखरा / ऋचा
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बिखरा-बिखरा
अधूरा-अधूरा-सा क्यों ये संसार
हम दोनों के दरमियाँ,
एक दिल एक जान थे कभी
क्यों बंटा ये ज़मी-आसमां
हम दोनों के दरमियाँ,
बसे थे जो नज़रों में कभी
क्यों धुंधले हुए ख्वाब
हम दोनों के दरमियाँ,
बाँधा जिस धागे ने टूटा वह ही
क्यों ये हालात
हम दोनों के दरमियाँ,
थामे जिनके हाथों ने हाथ कभी
फिर ये फासला क्यों
हम दोनों के दरमियाँ,
हाथ छूटे, रिश्ते गए टूट के बिखर
क्यों ये मजबूरी
हम दोनों के दरमियाँ।