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ये मिली ए' तिबार की क़ीमत / विवेक बिजनौरी
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ये मिली ए'तिबार की क़ीमत,
लग गयी मेरे प्यार की क़ीमत
मुझसे इक जंग जीतनी थी उसे,
सो लगी मेरी हार की क़ीमत
हमको इक फूल तक नसीब नहीं,
हमसे पूछो बहार की क़ीमत
आपको प्यार मिल गया अपना,
आप क्या जानो प्यार की क़ीमत
आके बाहों में भर लिया उसने,
मिल गयी इंतिज़ार की क़ीमत