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सॉरी बोला / जियाउर रहमान जाफरी
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इक बच्चे में थी बदमाशी
मिलती कैसे फिर शाबाशी
स्कूल जब भी वो जाता था
कुछ ना कुछ वह कर आता था
कभी फूल को तोड़े जाकर
फेक दे जूठे बाहर खाकर
डेस्क पे क्या-क्या लिख देता था
नाम न खुद का वो लेता था
ब्लैक बोर्ड भी गंदा कर दे
फेक के पानी गीला कर दे
बैंच को पटके कुछ वो ऐसे
उसकी चीज नहीं हो जैसे
इक दिन टीचर ने समझाया
उसको अपने पास बुलाया
स्कूल की ये चीजें सारी
जो भी है हर चीज हमारी
बच्चा जाकर फिर मुंह खोला
और टीचर से सॉरी बोला