भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मुक्ति / निशांत
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:58, 15 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशांत |संग्रह= }} <Poem> ख़ूब ज़ोर से गहरी साँस लेता ...)
ख़ूब ज़ोर से
गहरी साँस लेता हूँ
और ज़्यादा ज़ोर से
'हुम' करके छोड़ता हूँ उसे
मुक्त करता हूँ अपने आप को
अपने से इस तरह भी