भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नदी गीत / राकेश कुमार पटेल

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:23, 23 अगस्त 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश कुमार पटेल |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बादलों की छाँव में
एक पहाडी गाँव में
बांधे घुंघरू पाँव में
बहती है एक नदी

धीमे से उतरती है
मद्धम सी चलती है
हंसती है संवरती है
मचलती है एक नदी

जंगलो के पहरे में
धूप एक सुनहरे में
हवा के पालने में
झूमती है एक नदी

मछली के पाँव में
मांझी की नाव में
नन्हें-नन्हें पांव से
ठुमकती है एक नदी

धूप कभी छाँव में
पेड़ों की ठाँव में
हाँ वहीँ मेरे गाँव में
बहती है एक नदी

पिया की तलाश में
मिलन की आस में
सिमटी एक धार में
भटकती है एक नदी ।