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रामधारी सिंह "दिनकर"
Kavita Kosh से
रामधारी सिंह
जन्म | 30 सितंबर 1908 |
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निधन | 24 अप्रैल 1974 |
उपनाम | दिनकर |
जन्म स्थान | ग्राम सिमरिया, जिला बेगूसराय, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
कुरुक्षेत्र, उर्वशी, रेणुका, रश्मिरथी, द्वंदगीत, बापू | |
विविध | |
1972 में काव्य संग्रह उर्वशी के लिये ज्ञानपीठ पुरस्कार | |
जीवन परिचय | |
रामधारी सिंह "दिनकर" / परिचय |
- कुरुक्षेत्र / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- रश्मिरथी / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- समर निंद्य है / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- उर्वशी / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- रसवन्ती / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- परशुराम की प्रतीक्षा / रामधारी सिंह "दिनकर" (कविता संग्रह)
- परिचय / रामधारी सिंह "दिनकर"
- ध्वज-वंदना / रामधारी सिंह "दिनकर"
- आग की भीख / रामधारी सिंह "दिनकर"
- बालिका से वधु / रामधारी सिंह "दिनकर"
- जियो जियो अय हिन्दुस्तान / रामधारी सिंह "दिनकर"
- कुंजी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- परदेशी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- गाँधी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- आशा का दीपक / रामधारी सिंह "दिनकर"
- कलम, आज उनकी जय बोल / रामधारी सिंह "दिनकर"
- शक्ति और क्षमा / रामधारी सिंह "दिनकर"
- नमन करूँ मैं / रामधारी सिंह "दिनकर"
- हो कहाँ अग्निधर्मा नवीन ऋषियों / रामधारी सिंह "दिनकर"
- गीत-अगीत / रामधारी सिंह "दिनकर"
- निमन्त्रण / रामधारी सिंह "दिनकर"
- लेन-देन / रामधारी सिंह "दिनकर"
- निराशावादी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- रात यों कहने लगा / रामधारी सिंह "दिनकर"
- लोहे के मर्द / रामधारी सिंह "दिनकर"
- विजयी के सदृश जियो रे / रामधारी सिंह "दिनकर"
- समर शेष है / रामधारी सिंह "दिनकर"
- पढ़क्कू की सूझ / रामधारी सिंह "दिनकर"
- वीर / रामधारी सिंह "दिनकर"
- मनुष्यता / रामधारी सिंह "दिनकर"
- पर्वतारोही / रामधारी सिंह "दिनकर"
- करघा / रामधारी सिंह "दिनकर"
- चांद और कवि / रामधारी सिंह "दिनकर"
- चांद का कुर्ता / रामधारी सिंह "दिनकर"
- चांद एक दिन / रामधारी सिंह "दिनकर"
- भारत / रामधारी सिंह "दिनकर"
- भगवान के डाकिए / रामधारी सिंह "दिनकर"
- जनतंत्र का जन्म / रामधारी सिंह "दिनकर"
- शोक की संतान / रामधारी सिंह "दिनकर"
- जब आग लगे... / रामधारी सिंह "दिनकर"
- पक्षी और बादल / रामधारी सिंह "दिनकर"
- राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी / रामधारी सिंह "दिनकर"
- हिमालय -- मेरे नगपति ! मेरे विशाल !/ रामधारी सिंह "दिनकर"