भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रौद्रतांडव / मीना झा

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:05, 13 सितम्बर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मीना झा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRach...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एना किएक हवा
लगैत अछि अनठिया
पानी में मिझर
केलक के जहर!
माटिक टुकड़ा-टुकड़ा
एना किएक बखरा
सत्य भेल मूक-बधिर
असत्य किएक जबरा!
अड़हुल-गुलाब रक्त रंजित
कनैल पीत भयभीत
अनीतिक' अछि बोलबाला
नीति किएक पराजित!
शब्द भेल वाणविद्ध
चिंतन क' शव सहित
नोचि खाएल मुदित
विधि–व्यवस्थाक गिद्ध!
सत्यं शिवम् विदग्ध
सुन्दरम् क' कुदरूप प्रारब्ध
परिधि छितराएल क्षुब्ध
केंद्रक' अहं आत्ममुग्ध!
अशिवम् क' रौद्र तांडव
नित्य अछि, अनवरत
अनित्यक अंधमोह रत
सृष्टि केना क' बांचत?