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वक्त के सिक्के / शिव रावल
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वक्त के सिक्के जब भी उछाले,
हर सिक्के पर तेरा ज़िक्र मिला
कभी रूबरू, कभी ज़ुस्तज़ू
कभी मौसम में, कभी धड़कन में
कभी करवट में, कभी आहट में
खाली आंगन में, लहराते दामन में
घनेरे बादल में, बरसते सावन में
तरसते नैनन में, मचलते अंतर्मन में
सूने दर्पण में, सूखी स्याही में
कभी सन्नाटे में, कभी शहनाई में
कभी ख्वाब बन मिला, कभी ख्याल बन मिला
तो कभी बन फ़िक्र मिला
हर सिक्के में हर पहलू में 'शिव'
तेरा ज़िक्र मिला।