भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आज हूँ, कल चला जाऊंगा / शिव रावल
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:50, 3 अक्टूबर 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव रावल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
आज ख़्वाब-सा टूटा हूँ
कल याद-सा भुला दिया जाऊँगा
आज साथ-सा बिछड़ा हूँ
कल बात-सा सुना दिया जाऊँगा
माना बीता हूँ पर आज हूँ
कल फ़िर गुजरे वक़्त में समेट दिया जाऊँगा
यही दस्तूर है 'शिव'
कल आया था, आज हूँ, कल चला जाऊँगा