कूद जाने से पहले मैं अपना नाम लेकर चिल्लाती हूँ ।
एक सटा हुआ जंगल दहकता है
और चुपचाप
गुज़र जाती है कौओं की भीड़ ।
लोगों की आदतें भेड़ियों, कुत्तों और गिद्धों से
अधिक मिलने लगी हैं ।
सभी घरों के दरवाज़ों पर निशान लगाकर
लौट गया है कोई ।
मैं अपने नाम को बदल देना चाहती हूँ,
एक लड़की के लिए
एक लड़की के लिए
मैं अपना ख़ून कर देना चाहती हूँ ।
नामहीन लड़की रात के अन्धेरे में आकृतिहीन होकर
लौट गई है ।
मेरे पास नहीं है अब
उस लड़की की आवाज़ या
हंसी या नाम ।
मैं आदतन उसका नाम लेकर चिल्लाती हूँ
और गहराई जाँचने के लिए कूद जाती हूँ
एक कुएँ में ।