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ओछे लोगों से हर बात / हरिवंश प्रभात

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ओछे लोगों से हर बात बताना मत।
कच्चे घड़ों में पानी भरकर लाना मत।

अब कैसे समझोगे तुम इस दुनिया को,
हर ऐरे-गैरे को गले लगाना मत।

एक महीने में होती है जितनी रातें,
उतनी रातों का तुम चाँद चुराना मत।

जो भी कहना है कह डालो आज मिला हूँ,
फिर मिलने का तुम अफ़सोस जताना मत।

बादल बिजली कड़क रही है तूफां भी,
ऐसे में उम्मीदों का दिया जलाना मत।

जितनी भी बढ़ जाए बुराई दुनिया में,
अच्छाई, अच्छाई है झुठलाना मत।

कठिनाई ‘प्रभात’ वफ़ा की राहों में,
आती है तो आने दो घबराना मत।