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बच्चे हमारे बीच / एडिथ जॉय स्कोवेल / बालकीर्ति

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बच्चे जो यहां निवास करते हैं और हमारे सरो सामान की
तरतीब उलट पलट देते हैं
और हमारी हवा में
बिखर जाता
उनका पराग
सनोवर के गुच्छों जैसे बालों से निकलता
और जिनकी जिन्दगियाँ
हमारे पैरों के बीच, हमारे हाथों के मध्य, हमारी सोच की शाखाओं के अंग संग धागा बुनती जातीं
हम विचार, कार्य और समय से निर्माण करते हैं
उनके लिए
एक पक्का घर
और वहाँ वे आंशिक
निवसते हैं,
दीवार की दरार में विलो की जड़ी बूटी या सूरज की आग की तरह
 
पश्चिमी कमरे में लाल और नारंगी फूलों पर थोड़ी देर के लिए धूल पर रोशनी;
या ऊँचे मचान में वे कबूतर हैं जो
हवा में उछाले जाएँ
फिर भी घण्टियों की चरखी
में घुमाई छोड़ी जाती
 फिरकी सी गर्दिश पे मचलते,
और प्रत्येक परिवर्तन
के सिरे
 गहनतम सुर
की बाँक में हो
नीड़ का निर्माण फिर फिर

 पंखों की इबारत आराई: और इसलिए हमारे बच्चे, आ रहे हैं या हमें बुला रहे हैं ग़रज़मन्द, हमारी ज़रूरत
की घण्टियाँ बजाते।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकीर्ति

लीजिए, अब अँग्रेज़ी में वह मूल कविता पढ़िए
            Edith Joy Scovell
           Children among us

The children who inhabit her And change our furniture and scatter in our air
Their pollen out of catkin hair
 And whose lives thread between our feet between our hands, along the branches of our head _
We build with thought and work and time
A solid house for them
 And there they partly dwell ,
Willow herb in a cleft of wall or like suns’ fires

 That light at dust in a west room briefly on red and orange flowers;
Or doves in a high loft they are
That must launch into air yet wheels like bells about ,
And round each change with the deepest note,curve home
 Compose

 Their wings :and so our children ,coming or calling toll their need of us.