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आज फिर दिल टूटा है / कुलदीप सिंह भाटी

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आज फिर
दिल टूटा है
आसमान की किसी परी का,

या कि धोखा मिला है
किसी प्रेमिल मन को,

या कि चोट खाई है
किसी निश्छल हृदय ने।

तभी तो
निश्चित ही दुःखी होकर
रो रहा है यह आसमान आज
और
फैल गया है इसके कोरों का काजल
बादलों के रूप में।