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आग बिछोह की / कुलदीप सिंह भाटी
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तुम्हारे चले जाने के बाद,
चिर प्रतीक्षा
और
तुम्हारे ये प्रेम-पत्र!
पर,
नहीं लगा पाती हूँ अब
इन प्रेम-पत्रों को अपने दिल से।
ताकि
बचा सकूं
जलने से
कुछ निशानियाँ हमारे प्रेम की।