भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

उदासियों के साम्राज्य में, महानता / कुमार मुकुल

Kavita Kosh से
Kumar mukul (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:19, 31 जनवरी 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार मुकुल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
महान 
लोग हैं 
होने की  इच्छाएं हैं 

मुझ में  भी 
तुम में  भी 

पर  होना नहीं चाहिए 

कुछ  है भी नहीं 
महानता जैसा 

लोगों को 
तरह-तरह से 
छोटा  करते जाने वाले 
समाज में 
कुंठजनित 
टोपियां हैं  यह

क्षण भर को 
कैसी जंचती हैं 
उदासियों के  साम्राज्य में...।