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यार यारों का खास यार हूँ मैं / सुरेन्द्र सुकुमार

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यार यारों का खास यार हूँ मैं
और पतझड़ में भी बहार हूँ मैं

मेरे मौला नवाज़ दे मुझको
तेरी रहमत का तलबगार हूँ मैं

मैंने अब तक नहीं ख़ुद को समझा
और कहता हूँ कि समझदार हूँ मैं

असली धन्धा है रहज़नी का सुनो
यों वो कहते हैं कि शहरयार हूँ मैं
 
जैसे चाहो मुझे महसूस करो
फूल भी हूँ मैं और खार हूँ मैं

मैं बाहर से तो सुनो मुक़म्मल हूँ
मग़र भीतर से तार-तार हूँ मैं

मैं तो अक्खड़ हूँ बहुत बचपन से
लोग कहते हैं कि सुकुमार हूँ मैं