Last modified on 27 फ़रवरी 2024, at 22:29

विजन गिरि पथ पर / नामवर सिंह

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:29, 27 फ़रवरी 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नामवर सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

विजन गिरि पथ पर
चटखती
पत्तियों का लास ।

हृदय में
निर्जल नदी के
पत्थरों का हास ।

’लौट आ,
घर लौट’
गेही की कहीं आवाज़ ।

भीगते से वस्त्र
शायद
छू गया वातास ।