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मन अगर है जीवन / वैशाली थापा
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जीवन देती है मौक़े
आत्महत्या के हमेशा ही
यह वाक्य सुनकर
मुझे जीवन से बेज़ार ना समझ लेना
मैं बस सच की दासी हूँ
और यह हर पल महसूस करती हूँ
कि मन अगर है जीवन तो
कई बार धकेल देती है वह
दुःखों के बवंडर में
मगर यह मन ही है
कि बिस्तर में मरने के पचहत्तर तरीके सोच लेने के बाद
दोबारा उठता है
और पड़ जाता है फिर
जीवन के ही पचड़ों में
मनी प्लांट का पानी बदलने से लेकर
व्यापार में सौदा तय करने तक
वह मरने के हर इक तरीके को भूलता जाता है।
नहीं समझ आता कभी
क्या यह जीवन की झंझटें ही हैं
जो कई बार हमें जीवन से बचा लेती है
मन से हारने के बाद
हम हर बार जीवन के प्रमे में कैसे पड़ जाते है।