Last modified on 20 नवम्बर 2008, at 21:34

मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके / अनिरुद्ध सिन्हा

गंगाराम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:34, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिरुद्ध सिन्हा |संग्रह= }} <Poem> मेरे जज़्बात मेरे...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे जज़्बात मेरे नाम बिके
उनके ईमान सरेआम बिके

एक मंडि है सियासत ऎसी
जिसमें अल्लाह बिके राम बिके

पी के बहका न करो यूँ साहब
अब तो मयख़ाने के हर जाम बिके

उनकी बातों का भरोसा कैसा
जिनके मजमून सुबह-शाम बिके

कैसे इजहार करूँ उल्फ़त के
मेरे अरमान बिना दाम बिके