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हम ख़फ़ा हैं बेवफ़ाई के तेरे इल्ज़ाम से / धर्वेन्द्र सिंह बेदार

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हम ख़फ़ा हैं बेवफ़ाई के तेरे इल्ज़ाम से
हो गई ज़ालिम हमें नफ़रत वफ़ा के नाम से

रात आधी हो गई नींदों में दुनिया खो गई
जागते हैं दिल-जले और पी रहे हैं शाम से

अब पियाला ज़हर का हम दिल-जलों को तू पिला
प्यास अब बुझती नहीं साक़ी हमारी जाम से

ज़ख़्म दिल के हो गए हैं ला-दवा चारागरो
ज़ख़्म ये भरने नहीं अब रोग़न-ए-बादाम से

क्या करेंगे वह मुहब्बत हुस्न वालों से यहाँ
आशिक़ी में डर गए 'बेदार' जो अंजाम से