Last modified on 19 अप्रैल 2024, at 23:32

ज़मीं पर गिरा टूटकर आसमांँ से / धर्वेन्द्र सिंह बेदार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:32, 19 अप्रैल 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धर्वेन्द्र सिंह बेदार |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ज़मीं पर गिरा टूटकर आसमांँ से
सितारा जुदा हो गया कहकशांँ से

तेरी बेवफ़ाई नहीं रास आई
चले उठ चले हम तेरे आस्तांँ से

लगी आग दिल में हुआ राख जलकर
धुआँ उठ रहा है जिगर के मकांँ से

मुहब्बत नहीं है कोई चीज़ ऐसी
कि जब दिल ने चाहा खरीदी दुकांँ से

अकेले ही आए थे हम इस जहाँँ में
अकेले ही जाना मु'अय्यन यहाँँ से