भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्द उतर आये / शुभम श्रीवास्तव ओम
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:44, 1 मई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शुभम श्रीवास्तव ओम |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
इधर-उधर में खोये
कुछ सर को खुजलाये
शब्द उतर आये!
शून्य हुआ चेहरा
रख हाथों पर सोचें
हल्के से पलकों पर
उँगली से कोंचे
गहरी-सी साँस भरी
देत तक जम्हाये
अक्षर अँखुआये!
लिख-लिखकर काट रहे
खुद पर झुँझलाते
कैसे भी बचना है
खुद को दुहराते
ऐसा कुछ उभरे जो
पंख फड़फड़ाये
बोले-बतियाये!
थोड़ा-सा हाल-चाल
ढेर-सी बकैती
बिम्बों के बीज-पौध
गीतों की खेती
घर से बाज़ार तलक
सब सधे-सधाये
बोहनी कर आये!