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एक पहिया / विंदा करंदीकर / तनुज

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लग रहा है :
यहाँ कोई आने वाला है,
मेरे भविष्य की राह खोलने के लिए ।
लेकिन कोई नहीं आता
और
मेरे भविष्य की राह नहीं खुलती...

मैं अपनी शर्ट में बटन लगाता हूँ,
जिसे अभी - अभी लाया हूँ लॉन्ड्री से धुलवाकर
और उसके सभी चमकीले दाग,
मानो वे किसी के भाग्य हों ।
 
फिर मैं दरवाज़ा बन्द करता हूँ,
और चुपचाप बैठ जाता हूँ ।
पंखा घूमने लगता है
और हवा को आग के भँवर में बदल देता है।
घर से भी तेज़ आवाज़ में
वह शोर मचाता है ।

सम्भवतः यहाँ कोई आने वाला है,
लेकिन
वह नहीं आता ।

मुझे अब इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता ।

मैं शान्ति से दीवार से टिका लेता हूँ
ख़ुद को,
यहाँ तक कि ख़ुद ही दीवार भी बन जाता हूँ ।

मेरे कन्धे पर बैठा घायल पक्षी ज़ोर से हँसता है,
जिस कन्धे पर वह बैठा है,
उसी पर हँसता है !

मेरी मांस और रक्त की आत्मा
सुई की आँख में
एक लम्बा धागा पिरोती है ।

मैं अपने बेटे की छतरी पर एक पैबन्द लगाता हूँ ।
मैं उसकी नाक खुजाता हूँ और जिससे खुजाता हूँ उसे यह दो नाम देता हूँ:
एक को "हाथी" और दूसरे को "शेर"।

लग रहा है :
यहाँ कोई आने वाला है,
 मेरे भविष्य की राह खोलने के लिए ।
लेकिन वह नहीं आता
और
मेरे भविष्य की राह नहीं खुलती ।

मैं अपने बच्चों को गुदगुदी करता हूँ,
वे भी मुझे गुदगुदी करते हैं;
मैं हँसता हूँ,
सम्पूर्ण इच्छाशक्ति के साथ;
क्योंकि मुझे गुदगुदी महसूस नहीं होती ।
इससे मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।

मैं अनिष्ट के संकेतों को समझने के लिए
उनकी उँगलियों पर नज़र दौड़ाता हूँ;
और मुझे दिखते हैं वहाँ :
नौ शंख और एक पहिया...*

("नौ शंख और एक पहिया अंगुलियों के सिरों पर (पोरों पर) रेखाओं की ऐसी संरचना बनी होती है। 'भारतीय हस्तरेखा विज्ञान' के अनुसार ये संरचनाएँ व्यक्ति के सुखी जीवन की भविष्यवाणी करती हैं।)

मराठी से अनुवाद : तनुज