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बा / ईप्सिता षडंगी / हरेकृष्ण दास

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आँखों से छलकती
प्रशान्ति

मन में
ढेर सारा विद्रोह

पहाड़ से मजबूत
अपने व्यक्तित्व में
समेट लिया कैसे
अपने आप को तुमने

बा !

ओड़िआ से अनुवाद :हरेकृष्ण दास