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एक तुम्हारा प्यार / राहुल शिवाय

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कितना कुछ भर देता मुझमें
एक तुम्हारा प्यार

किसी अंतरे से मुखड़े को
जोड़े जैसे टेक
जैसे छपी हुई कविता सँग
आता कोई चेक

एक फोन से पाता हूँ मैं
वैसा ही सत्कार

जैसे सूनी बगिया में झट
दिख जाये खरगोश
जैसे खोये मन को आता
चुटकी सुनकर होश

तुमको पाकर एक शून्य से
पाता हूँ विस्तार

तुमसे जाना, बातों में भी
होते हैं छः स्वाद
भावों का भाषा में कैसे
करते हो अनुवाद

बातों ही बातों में कैसे
रचते हो शृंगार।