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टॉकीज में चुम्मी / ज्योति शर्मा

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तुम्हें याद हो कि न याद हो
मुझे याद है मेरी पहली चुम्मी
टॉकीज में दी थी तुमने
कुछ।कुछ होता है फ़िल्म के बीच
इंटरवल के ठीक पंद्रह मिनट बाद
औरत सब याद रखती है
दी हुई चुम्मियाँ भी
खाई हुई गालियाँ भी
पड़ी हुई मारें भी
गुमचोटों और चुम्मियों से मिलकर बनती है औरत