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जब तुमने मिलने के लिए कहा / ज्योति शर्मा

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हुमायूँ के मक़बरे में जब तुमने कहा
मिलने के लिए
मेरे लिये यह बड़ी बात थी
शादीशुदा औरत तब तक नहीं आती मिलने किसी से
जब तक वह अपने प्रेम के राक्षस से
लहूलुहान न हो गई हो
मुझे लगा हुमायूँ का नहीं मेरा ही मक़बरा है यहाँ
इतना डरी हुई थी मैं
जब वापस लौटी तो जैसे कचनार की फूलों से झुकी
डाल थी