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ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाए / रवि सिन्हा

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खेल है ये तो ज़िन्दगी क्या है
इस तमाशे में फिर सही क्या है

मान लेते हैं कुछ नहीं हैं हम
जिसको पूजा किये वही क्या है

मुल्क तारीख़ में नशा चाहे
दौर-ए-जम्हूर आगही<ref>चेतना (awareness)</ref> क्या है

क़त्ल करते हो गीत गाते हो
नज़्म-ए-क़ातिल में नग़्मगी<ref>लय (lyricism)</ref> क्या है

कौन क़ुदरत में दख़्ल देता है
एक पौधे की बन्दगी क्या है

क्या अनासिर<ref>पंचतत्व ( elements)</ref> तो क्या तसव्वुर<ref>कल्पना (imagination)</ref> है
कारख़ाना है आदमी क्या है

कैसे कैसे ख़याल आते हैं
इन मशीनों में ये ख़ुदी क्या है

अजनबी से ही गुफ़्तगू मुमकिन
कोई बतलाये अजनबी क्या है

हुस्न दरिया है पास बहता है
इश्क़ पूछे है तिश्नगी<ref>प्यास (thirst)</ref> क्या है

एक लड़की हज़ार बातें हैं
इस मुहल्ले को काम ही क्या है

हाल-ए-दुनिया पे शे'र कहते हो
अहल-ए-दुनिया<ref>दुनिया के लोग (inhabitants of the world)</ref> को शाइरी क्या है

शब्दार्थ
<references/>