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पाठ / रोशन परियार

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कैँची जस्तो मन बनाउनु
काटिरहन्छ, टुक्राइरहन्छ

सियोमा गुलाफ बेर्नु
चोटै चोटको धागो उन्नु
अनि
उध्रेको जिन्दगीलाई
धैर्यको कलमा राखेर
बिस्तारै - बिस्तारै सिलाउँदै जानु

दुखाइहरू मीठा हुन्छन्
दुख्न थालेपछि !!