भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हमने इश्क़ किया / कात्यायनी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:40, 22 नवम्बर 2008 का अवतरण
हमने इश्क़ किया
और काम के आदमी बन गए
दुनिया के लिए
वर्ना...
(चचा ग़ालिब से मुआफ़ी चाहते हुए}
रचनाकाल : सितम्बर 1997