Last modified on 24 जुलाई 2024, at 14:40

मन का छाजन / नीना सिन्हा

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:40, 24 जुलाई 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नीना सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मन का छाजन रिसता है
और
बूँद बूँद गिरते हैं शब्द
इक अदम्य चाह रही यात्रा की
और
पाँवों में असंख्य वर्जनाओं के भँवर

समय की डगर पर विषमताएँ के इतने स्याह बादल
कि
वह हर आशंकाओं से पूर्व रंग बदल लेते

असीम की कल्पना करता मन
कब स्वयं संग नि:स्संग हुआ
प्रत्यक्ष ख़बर नहीं

प्रहर बदलने के संग संग
मौसम बदल गये
आसमाँ पर मेघों का जाल रहा और
नदियों के किनारे बदल गये!

उन्मुक्त हवाएँ
बहती रही चहुँओर
इक मल्हार-सा जीवन
कई रंगों में ढल गया

निषिद्ध से शुरू किया गया सफर
अभीष्ट की तलाश में
कई नदी, पोखर, तालाब, सागर पार करता
मगर
जहाज का पंक्षी पुनः जहाज़ को लौटता

समय के ताल में चेहरों की रंगत बदल गयी
मगर
प्रतिबिंब के नयन नक़्श
वही सवालिये रहे

मन की यात्रा और दिशासूचक
दोनों के भिन्न तारतम्य
कभी अलख-सी धूनी रमायी
तो
कभी चल दिये!