ताबूतों में बंद प्रेम / राजेश अरोड़ा

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अक्सर दुर्घटना के बाद भी
बचा रहा जाता है प्रेम
ताबूतों में बंद प्रेम
कभी कभी लेता है
करवट
टटोलता अपने आस पास के अंधेरे को
ढूँढता है रोशनी
या आक्सीजन का
एक सुराख

ताबूत के ऊपर डाली
गई ख़ाक
और दोहराए गए अंतिम शब्दों
को चुनौती देने को कसमसाता है

एक दिन कब्र पर
दिखता है
चम्पा का झाड़ बन
फूलो से लदा।

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