सिर्फ़ आलोक ही नहीं
वह भी जिसमें आलोक समा जाता है।
सिर्फ़ विभोरता ही नहीं
वह भी जो विभोरता के बाहर साँय-साँय करता है।
सिर्फ़ आलोक ही नहीं
वह भी जिसमें आलोक समा जाता है।
सिर्फ़ विभोरता ही नहीं
वह भी जो विभोरता के बाहर साँय-साँय करता है।