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स्वाभिमान नारी / विश्राम राठोड़

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अभ्युदय हुआ नए सवेरों का, नई लालिमा छाई है।
मैं नारी आज का भविष्य, मेरी अनंत ऊँचाई है।
शिक्षा हो या सेना, सकल भविष्य दिखलाई है।
मैं नारी देश का भविष्य, देश की प्रगति में आगे आई है।

आ गई वह दमक, खेल खिलाड़ी बन के दिखलाई है।
लोकसभा हो या राज्यसभा, नारी शक्ति छाई है।
अब तो भारत संग यूनिस्को ने नई गाथा गई है।
सशक्त राष्ट्र का, सफल भविष्य, नारी संग परछाई है।

इतिहासों की गाथा हो या देश का वर्तमान भविष्य हो।
भगिनी निवेदिता की वाणी हो या नोबेल पुरस्कार विजेता हो
मैं नारी आज का कल हूँ, देश निर्माण के प्रति सजग हूँ।
सकल विश्व को यह संदेश हूँ, लेगिंग समानता है तब ही देश की उन्नति आती।

अधिकार कर्तव्य की यह कहानी
परिवार संग देश की प्रतिष्ठा जानी।
प्रतिभा जी, द्रोपदी जी ने देश संभाला।
प्रथम राष्ट्रपति बन रच दिए इतिहास निराला।

शंखनाद हुए उन स्वरो का।
स्वर कोकिला बन गई, भारत स्वपनों का
मैं नारी आज का कल हूँ। विश्व पटल के प्रति सजग हूँ।
कोरोना काल में लिखी अमिट कहानी, देश के लिए बलि हो गई अमर जवानी।