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उषाकाल की रागनियाँ / केटी निव्याबन्दी / अनिल जनविजय

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पंछी गाते हैं सुबह-सुबह
चूना ढकी हमारी ज़मीन पर
गत्तों के बने घरों पर
फलों की ख़ुशबू वाली हवा में
ज़ंग लगे बिजली के खम्भों पर
मंत्री की लोहे की खिड़की पर
आम के पेड़ पर
मेरी दादी की क़ब्र पर
क़ैदियों से भरी हुई जेल के ऊपर
वे देर तक गाते हैं रागनियाँ
हर सुबह उनके गीतों से शुरू होती है

पर यहाँ सब कुछ बिखर रहा है
बिजली
स्कूल
सरकार
आशा
सब

हमारे ख़ूबसूरत
चमकते पंछी गाते हैं
उनके गलों में इन्द्रधनुष के रंग हैं
अलग- अलग

आपको हमें भेजना चाहिए
इलाज के लिए
कभी-कभी ।

अँग्रेज़ी अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब इसी कविता को मूल अँग्रेज़ी भाषा में पढ़िए
               Ketty Nivyabandi
              Morning symphonies

Birds sing every morning
On our lime coated land
On cardboard residences
In the fruity air
On rusted electric poles
On the minister’s steel window
On the mango tree
On my grandmother’s grave
On the overcrowded jail
They sing elaborate symphonies
Every morning is a recital

Here all crumbles
Electricity
Schools
Government
Hope
All

But our gorgeous
Radiant, birds
They carry rainbows
In their lustrous throats

You should send us yours
For therapy
Sometime.