भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जाल में / नजवान दरविश / मंगलेश डबराल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:51, 9 नवम्बर 2024 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

{{KKCatKavita}

जाल में फँसा हुआ चूहा कहता है :
इतिहास मेरे पक्ष में नहीं है
तमाम सरीसृप आदमियों के एजेण्ट हैं
और समूची मानजाति मेरे ख़िलाफ़ है
और हक़ीक़त भी मेरे ख़िलाफ़ है

फिर भी इस सबके बावजूद
मुझे यक़ीन है
मेरी सन्तानों की ही होगी जीत ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मंगलेश डबराल