भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक 'हत्यारे' का हलफ़िया बयान / सुशांत सुप्रिय
Kavita Kosh से
Adya Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:34, 21 नवम्बर 2024 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुशांत सुप्रिय |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मेरी बहन पहले
कविताएँ लिखती थी
कहानियाँ भी
पेंटिंग्स भी बनाती थी
बहुत सुंदर
बेहद खुश रहती थी वह
उन दिनों
फिर अचानक
उसने बंद कर दीं लिखनी
कविताएँ, कहानियाँ
बंद कर दी उसने बनानी
ख़ूबसूरत पेंटिंग्स
और भीतर से बुझ गई वह
योर ऑनर
मैं ही इसका ज़िम्मेदार हूँ
मैंने कभी प्रशंसा नहीं की
उसकी कविताओं, कहानियों की
कभी नहीं सराहा उसकी पेंटिंग्स को
मैं चाहता था कि वह अपना सारा समय
बर्तन-चौका, झाड़ू-बुहारू और
स्वेटर बुनने में लगाए
योर ऑनर
मैं हत्यारा हूँ
मैंने अपनी बहन की प्रतिभा की
हत्या की है
उसकी कला का दम घोंटा है
मुझे कठोर से कठोर सज़ा दी जाए
योर ऑनर