सौ साल पुरानी साड़ी / नेहा नरुका
डिजीटल न्यूज प्लेटफार्म पर
निम्नलिखित ख़बर छायी है —
"वड़ोदरा की राजकुमारी राधिका राजे ने
जो साड़ी पहनी है, यह सौ साल पुरानी है ।
इस साड़ी के पल्लू और किनारी पर
असली सोने के धागे का उपयोग हुआ है ।
सोचिए, सौ साल पहले भारत में
कितनी शानदार कलाकारी होती थी ।"
ख़बर के नीचे राजकुमारी का चित्र है ।
साड़ी सचमुच शानदार कारीगरी का
नमूना लग रही है।
मेरा ध्यान सौ साल पुराने उस बुनकर की तरफ़ जा रहा है,
जिसने ये साड़ी बनाई होगी...
कितने दिन में बनाई होगी ?
कैसे बनाई होगी ?
क्यों बनाई होगी ?
पेट भरने के लिए बनाई होगी ?
या अपने कला-कौशल की अभिव्यक्ति के लिए ?
बुनकर ने किस मकसद से बनाई होगी
सौ साल पहले यह साड़ी ?
वह बुनकर औरत भी तो हो सकती है !
अगर वह औरत थी तो वह कैसी साड़ी पहनती होगी ?
सौ साल पहले भारत की आम औरतें
कैसी साड़ी पहनती होंगी ?
स्मृतियों की पोटली से निकलकर एक साड़ी आई है
घिसी-थिगिली लगी सूत की साड़ी !
जिसे धोने के लिए पहननेवालियों के पास
आधा डोल* पानी नहीं है
चित्र में साड़ी की किनोर पर सोना है
स्मृति में साड़ी की किनोर पर मैल !!
इनमें से किसे कहूँ मैं
सौ साल पुरानी साड़ी ?
- डोल : पानी भरने का लोहे का गोल बर्तन ।