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तिरंगा / दिनेश शर्मा

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ओढ़ तिंरगा लाल आया री
आंगण तन्नै सजाया कोन्या।
दिया वचन आज पूरा होग्या
तेरा दूध लजाया कोन्या॥

जिस दिन मेरा जन्म होया,
घर म्है थाली बाजी थी
नौ महीने तन्नै कष्ट सहे,
पर ना मानी कदे काली थी
बेशक दूर तेरे तै सूं
तेरा लाड़ भूलाया कोन्या
दिया वचन आज

दादी बुआ काकी ताई नै,
खूब लाड़ तै पाल्या था
मेरे बाबू काके ताऊआं नै,
सारे तरियाँ ढाल्या था
लाडो बाहण मेरी पै पौंची,
बंधवाबण पाया कोन्या
दिया वचन आज

यारे प्यारां की गेल्याँ,
मस्ती ख़ूब खरी थी
पढ़ण की थी लग्न कसूती,
ना कोई कसर धरी थी
मेरा गुरुआं तक दिए संदेशा
नाक कटाया कोन्या
दिया वचन आज

देशहित म्है रहूँ समर्पित,
मेरा दादा नै न्यू चाहया था
देशभक्ति का पाठ गुरुजी,
बारंबार पढ़ाया था
बोहडिया नै छाती ला कहिए,
उसका मान घटाया कोन्या
दिया वचन आज

दिनेश आज भी चौकस,
ले बंदूक खड्या था
गोली कई लाग्गी सीने म्है,
पर दुश्मन पै टूट पड़या था
जीते जी धरती माँ नै,
कोय छूवण पाया कोन्या
दिया वचन आज