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माणस जुणी / दिनेश शर्मा

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विषय वासना तै माणस नै
बच कै रहणा चाहिए
बैर विरोध जलन निंदा सब
हंस कै सहणा चाहिए

मानस जूणी मिलै भाग तै
लाख चौरासी पाछै
नेक करम करणे चाहिए
सुधरै अगत जिसके साखै
सब तरियाँ के मिलै अंनद
बढ़िया भोजन चाखै
यज्ञ हवन संध्या तर्पण कर
नीत धर्म में राखै
ना माड़ा करम करै कदे
ना भुंडा कहणा चाहिए
बैर विरोध जलन निंदा

मिलै जपण नै राम नाम
हर की गाथा गाणे नै
गंगा जल मिलै नहाण नै
गीता ज्ञान मन ध्याणे नै
दीन दुखी की सेवा करकै
मिलता पुण्य कमाणे नै
तीरथ बरत करणे चाहिए
मन की शांति पाणे नै
त्याग क्रोध अर लोभ
सत को धरणा चाहिए
बैर विरोध जलन निंदा

मात पिता अर गुरुजन
सब मार्गदर्शन करते
वेद पुराण आत्मज्ञान मिल
भीतर ज्योति भरते
आशा तृष्णा ठीक नहीं
बुद्धि का गुण हरते
बात भले की जो सुणते
ना बिन आई में मरते।
मातरभूमि अर माँ खातर
बेसक मरणा चाहिए
बैर विरोध जलन निंदा

गाय अर संता की सेवा
कर भारी लाभ मिलै सै
भाईचारा प्यार निभा कै
दिल के दाग सिलै से
घर कुणबे मैं परेम बसै
मन का फूल खिलै सै
पालन धरम करण तै
परवत पाप हिलै सै
दिनेश माणस नै सांझ सबेरै
नाम सुमरणा चाहिये
बैर विरोध जलन निंदा