Last modified on 23 मार्च 2025, at 10:28

वक़्त ठहर जाता है / संतोष श्रीवास्तव

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:28, 23 मार्च 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष श्रीवास्तव |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

झील की बाहों में
चाँद के आते ही
सितारों ने
सतह को चूम
लिक्खे बधाई गीत
मुस्कुरा उठे चीड़ वन
हवा की अंगड़ाई में
लरज उठी कुसुमलता
बजते रहे बांस वन
वक्त भी तो ठहर जाता है
प्रेम के विस्तार में