भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

याद तो करते होंगे ना / भव्य भसीन

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:32, 8 जून 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भव्य भसीन |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वहाँ किसी से मेरी बात करते होंगे ना,
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना।
जैसे मैं याद करती हूँ उन्हें,
वो मुझे कभी याद तो करते होंगे ना।

उन्हें मेरी ज़रूरत तो नहीं,
मैं उनके किसी काम की तो नहीं,
मेरे पुकारने से कभी तो,
एक नज़र भर मुझे देखते तो होंगे ना।
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना।

उन्हें पता तो होगा यहाँ जी कैसे रही हूँ,
खाली हृदय को सम्भाल कैसे रही हूँ,
उनको जो इतने पयाम लिखती हूँ,
वो कभी एक तो पढ़ते होंगे ना।
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना।

क्या पता मैं कल कहाँ रहूँगी,
किस देस किस हाल में रहूँगी,
जो दूरियों में थोड़ा-सा प्यार उन्हें दे पाई हूँ,
इसे संजो के वे कहीं तो रखते होंगे ना।
मेरा ख़्याल तो करते होंगे ना।

कहते हैं दिल से दिल की तार जुड़ी होती है,
बिना कहे भी हर बात होती है,
जो इस हृदय को तुमसे आशा है,
उस आशा को जीवित तो तुम रखोगे ना।
कहो तुम रखोगे ना।