Last modified on 14 जून 2025, at 17:34

प्रेम की सुगन्ध / चन्द्र गुरुङ

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:34, 14 जून 2025 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चन्द्र गुरुङ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक दिन
पंख निकाल कर उड़ जायेंगे दुःख
भर जायेंगे धाव के गहरे सागर
सूख जायेगी आँसुओं की लम्बी नदी
जीवन की अन्धेरी गुफाओं में
गायब हो जायेगी दुःख-दर्द की आदिम चिल्लाहट

सालों साल तक महकेंगे
केवल दिलों में प्रेम।