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अंगाकर रोटी / निर्मल आनन्द
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उठ रहा है धुँआ
गोरसी में सुलग रहे हैं कंडे
भीग रहे हैं तसले में
पलास के सूखे पत्ते
माँ गूंध रही है आटा
कंडे जब लाल हो जाएंगे सुलगकर
माँ पलास के पत्तों को
सूप में गोल रखकर थापेगी
एक बड़ी अंगाकर
और डाल देगी गोरसी में
अंगाकर जिसमें मौजूद होंगे
माँ की उंगलियों के निशान
बदल जाएगी
सारे परिवार के नाश्ते में
भाभी ले जाएगी खेत
हल चला रहे भैया के लिए
दोपहर से पहले
नहीं आने देगी भूख को
इस परिवार की देहरी तक
यह अंगाकर रोटी ।