Last modified on 27 नवम्बर 2008, at 22:01

तुम्हारा होना-3 / जितेन्द्र श्रीवास्तव

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:01, 27 नवम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र श्रीवास्तव |संग्रह= }} <Poem> तुम हो तो यह ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम हो तो
यह जीवन है

तुम्हारे बिना
कल्पना भी नहीं जीवन की

प्रिये!
यह प्रेम बोध नहीं क्षण भर का
यह यात्रा है जीवन की

तुम हो तो बल है चलने का
तुम हो तो मन है
पलकों पर आकाश उठाने का

तुम हो तो
मैं हूँ
तुम हो तो
यह जीवन
जीवन है।