कौन-सी आँधियाँ आएँगी शजर टूटेंगे ?
हम तेरे ग़म में किसी रोज़ अगर टूटेंगे ?
फूल थे रंग थे ख़ुशबू थी चमन में लेकिन
तितलियों ने भी न सोचा था कि पर टूटेंगे
टूटना जितना मुनासिब था मुझे टूट गया
अब तू आएगी, इधर लोग उधर टूटेंगे
हँस पड़ी कहते हुए भूल भी जाओ मुझको
वस्ल का सोचने बैठेंगे तो घर टूटेंगे
बस यही सोच के खींचा है तेरी याद का कश
मंजिलें ख़्वाब में आएँगी सफ़र टूटेंगे
हम सितारे हैं मुहब्बत के हमें क्या मालूम ?
रौशनी होगी कहाँ और किधर टूटेंगे ?