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पतंग / सूर्यकुमार पांडेय

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नीली-पीली-लाल पतंग,
उड़ी हवा की चाल पतंग ।
 
          आसमान में, कितनी दूर,
            अपनी मस्ती में भरपूर;

बढ़ती जाती इसकी डोर,
उड़ती चली चाँद की ओर ।
 
           देख हो रहे हैं सब दंग ।
           नीली-पीली-लाल पतंग ।
 
इसकी कितनी तेज उड़ान,
उड़ जाती यह नन्ही जान ।
 
           आसमान है इसकी राह,
           क्या कहने, इसके उत्साह !
 
मन में अपने भरे उमंग,
उड़ी हवा की चाल पतंग ।
 
           बल खाती, इठलाती खूब,
            इसके संग न होती ऊब ।
 
बच्चों से करती है प्यार,
उड़ती है बादल के पार ।
 
            आओ खेलें इसके संग,
             नीली-पीली-लाल पतंग ।