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लहू के फूल / लालसिंह दिल
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जब नींद में रोने की तरह
मन का कोई साथ नहीं देता
चीख़ों के लिए कोई शब्द नहीं होते
और होंठ पराए हो जते हैं
उन शब्दों का क्या है नाम
जो हर पल माँ की तरह
जाग रहे होते हैं...
उस पल तो सहम जाती है
सुन्न शाखें
ख़ामोशी में कोई पत्ता नहीं हिलता
उन शब्दों का क्या है नाम
जो जब भी गाती हुई लम्बी आवाज़ें बनते हैं
तो उन्हें सुन कर
डरे हुए पंछियों को गाने का साहस होता है
उन शब्दों का क्या है नाम
जो पास खड़े हँसते हैं
लेकिन जिन्हें ढूंढती हुई तलवारें
पागल हो चुकी हैं
ये शब्द उस लहू के फूल हैं
जिसका रंग कभी नहीं बदलता
हर भूमि, हर देश में
यह रंग एक-सा रहता है
वक़्त आने पर इस लहू में
आग जल उठती है
लाल रंग के फूल खिल उठते हैं
मूल पंजाबी भाषा से अनुवाद :